Sunday 28 April 2013

इंडिया गेट पर २०१३ की एक शाम १९३१ के नाम .......


२३ मार्च २०१३-पेंथर पार्टी द्वारा आयोजित कोई कार्यक्रम अवश्य होगा जानती थी | उसी दिन इंडिया गेट जाकर पता चला कि इंडिया गेट रोज़ शाम को चार बजे बंद हो जाता है . निराशा हुई लेकिन फिर सोचा चलो दूसरे छोर से जाकर देखते हैं . रास्ते में एक दो फोटो खींचने लगे तो पुलिस वाले से झड़प हो गयी , जबकि हम कोई नियम उलंघन नहीं कर रहे थे |  आगे बढे तो राजपथ पर लोगो का हुजूम नज़र आया शान्ति मिली कि हमारा आना व्यर्थ नहीं रहा | कुछ देर इधर -उधर घूमे और फिर शाम ढलते ही पेंथर पार्टी के लोग आ गए तो हम भी उस कार्यक्रम का भागी बने , शहीदों को याद करते समय एक भावना थी मन में एक उत्साह था भूल गए कुछ देर के लिए कि हम कहाँ हैं किस सदी में हैं ?


नियति देखिये !! जिन लोगो ने देश के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया उन के लिए प्रजवल्लित  प्रकाश पुंज को इंडिया गेट की पवित्र अग्नि तक ले जाने की अनुमति पुलिस ने नहीं दी सड़क पार कर बेरियर के सामने ही सबने अपनी श्रधांजलि अर्पित की 




सरकार तो एक शब्द भी श्रद्धा के रूप में कहना नहीं चाहती, भूल गयी है कि कैसे स्वराज मिला ?
आज भारत का जो स्वरुप है उन शहीदों ने स्वप्न में भी कल्पना नहीं की होगी .अच्छा हुआ जो उन्हें पता नहीं है कि हमारी शहादत का क्या हश्र है .......!! लेकिन हर सच्चे भारतीय के दिल से उनके लिए आवाज़ आती है


बलिदान ना भूल जाएँ हम उन वीर शहीदों के ,नतमस्तक हो जाएँ मिल कर सम्मान में वीरों के 
वन्दे मातरम् ..........





Wednesday 24 April 2013


प्रयास मेरा नया ब्लॉग है ............