Friday 7 March 2014

मौत का कुआं सुना रहा है मार्मिक आपबीती और उगल रहा है क्रान्तिकारियों की अस्थियां---

एक प्रयास ---------मौत का कुआं सुना रहा है मार्मिक आपबीती
 और उगल रहा है क्रान्तिकारियों की अस्थियां---

खुदाई में अब तक 100 से अधिक क्रान्तिकारियों की अस्थियां
अभी भी खुदाई निरिन्तर जारी है।

जब से खुदाई शुरू की गई है। 
रोजाना गांव में खुदाई कार्य के दौरान मेला सा लग रहा है 
और जैसे-जैसे मिट्टी से अस्थियों का ढेर निकलता है, 
मौजूद लोगों की आंखों से आंसूओं की धारा माहौल को गमगीन कर देती है।
ईस्ट इंडिया कम्पनी की मुहर वाले सिक्के और ज्वैलरी भी मिली
अस्थियों के मिलने तक यह खुदाई जारी रहेगी।

अगस्त 1857 में अमृतसर के तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर फ्रेडरिक हैनरी कूपर 
और कर्नल जेम्स जॉर्ज ने इस नरसंहार की योजना बनाई थी।

कूपर ने अपनी पुस्तक "द क्राइसिस ऑफ पंजाब" में भी इस घटना का उल्लेख किया है। 

नरसंहार में मारे गए क्रान्तिकारी अंग्रेजों की बंगाल नेटिव इन्फेंट्री से सम्बद्ध थे, 
जिन्होंने बगावत कर दी थी।
इनमें से अंग्रेजी सेनाओं ने 150 का गोली मार दी, 
जबकि 283 सिपाहियों को रस्सियों से बांध कर अजनाला लाया गया 
और इस कुुएं में फेक दिया गया था।
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